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Monday, September 24, 2018


हाफ़िज़ा-ए-ज़िन्दगी है ज़िन्दगी से पेशतर 
आज हो आये उधर से बिन गए उनके शहर
HaaFizaa-e-zindagii hai zindagii se peshtar
Aaj ho aaye udhar se bin gaye unke shahar 

गो लड़कपन था मगर उसमें भी कोई बात थी  
गुज़र लेते हैं उधर से अब भी मौक़े देखकर
Go laDakpan thaa magar usme bhi koii baat thii
Guzar lete hai.n udhar se ab bhi mauqe dekh kar 

उम्र की चोटी फ़तह की इस तरह रफ़्तार से 
अह्ले-ग़ाफ़िल चढ़ गए बाहोश उतरे तेज़तर
Umr kii chotii Fatah kii is tarah raFtaar se
Ahl-e-Gaafil chaDh gaye baa-hosh utare tez-tar

कौन पढ़ता है यहाँ पर वक़्त का जुग़राफ़िया 
बज़्म कश्ती में जवाँ दरिया की रौ से बेख़बर
Kaun paDhtaa hai yahaa.n par waqt kaa juGraaFiyaa
Bazm kashtii me.n javaa.n dariyaa ki rau se beKhabar 

आलमे-मौजूद है या आलमे-मौहूम है    
एक बातिल सामने तो वाक़िए सौ बेअसर
Aalam-e-maujuud hai yaa aalam-e-mauhuum hai
Ek baatil saamne to vaaqiye sau be-asar

दौड़ता रह तेज़ अपनी जगह पर टिकना है तो 
यूँ तिलिस्मी है मगर तिश्ना-ए-ख़ूँ है ये दहर
DauDtaa rah tez apnii jagah par tiknaa hai to
Yuu.n tilismii hai magar tishnaa-e-Khuu.n hai ye dahar  

आग उगले है तो उसको ग़र्क़ कर देने की सोच 
शाम तक हो जायगा वो नातवाँ ओ बेशरर
Aag ugle hai to usko Garq kar dene ki soch
Shaam tak ho jaaygaa vo naatavaa.n o be-sharar

है रवाँ तारीख़ ये इमरोज़ बे-फ़र्दा नहीं 
लाज़िमी है मोड़ सद सदियों चलेगा ये सफ़र 
Hai ravaa.n taariiKh ye imroz be-Farda nahii.n
Laazimii hai moD sad sadiyo.n chalegaa ye saFar

क्या कहे कोई सभी पर गुफ़्त-ए-ग़ालिब का रंग 
अदब होता है उसी जादू से मिसरे खेंचकर
Kyaa kahe koii sabhii par GuFt-e-Ghalib ka rang
Adab hotaa hai usii jaaduu se misre khench kar

-          Ravi Sinha 
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हाफ़िज़ा-ए-ज़िन्दगी (haaFizaa-e-zindagii) - ज़िन्दगी की स्मरण-शक्ति (life's capacity to remember); पेशतर (peshtar) - पहले (before); आलमे-मौजूद (aalam-e-maujuud) - वास्तविक दुनिया (real world); आलमे-मौहूम (aalam-e-mauhuum) - काल्पनिक दुनिया (imaginary world); बातिल (baatil) - झूठ (lie, untruth); वाक़िए (vaaqiye) - घटनाएँ (incidents); तिश्ना-ए-ख़ूँ (tishnaa-e-KHuu.n) - ख़ून का प्यासा (bloodthirsty); दहर (dahr) - युग, समय (era, time); नातवाँ (naatavaa.n) - कमज़ोर (weak); बेशरर (be-sharar) - बिना चिनगारी के (without spark); इमरोज़ (imroz) - आज का दिन (today); बे-फ़र्दा (be-Farda) - जिसका कल न हो (without a tomorrow); गुफ़्त-ए-ग़ालिब (GuFt-e-Ghalib) - ग़ालिब की अभिव्यक्ति (Ghalib's sayings)

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