दिल गया इज़्तिराब
बाक़ी है
गोया क़िस्सा जनाब बाक़ी
है
Dil gayaa iztiraab
baaqii hai
Goya qissaa janaab
baaqii hai
अर्ज़े-उल्फ़त पे जश्न हो
जाये
गरचे उनका जवाब बाक़ी
है
Arz-e-ulFat pe jashn
ho jaaye
Garche unkaa jawaab
baaqii hai
ख़ाक रक़्सां है इस
बियाबाँ में
चश्मे-बातिन सराब बाक़ी
है
Khaak raqsaa.n hai is
biyaabaa.n me.n
Chashme-baatin saraab
baaqii hai
मेरी आँखों के जागने पे
न जा
मेरी आँखों में ख़्वाब
बाक़ी है
Meri aa.nkho.n ke jaagne
pen a jaa
Meri aa.nkho.n me.n
Khwaab baaqii hai
फ़िक्र उनको है
रोज़े-महशर की
मुझको ख़ुद से हिसाब
बाक़ी है
Fiqr unko hai
roz-e-mahshar kii
Mujhko Khud se hisaab
baaqii hai
- Ravi Sinha
---------------------------------------
इज़्तिराब (iztiraab) –
बेचैनी (restlessness); अर्ज़े-उल्फ़त (arz-e-ulFat) - प्रेम निवेदन (propositioning
love); रक़्सां (raqsaa.n) - नाचता हुआ (dancing); चश्मे-बातिन (chashm-e-baatin) -
अन्दरूनी आँख (inner eye); सराब (saraab) – मरीचिका (mirage); रोज़े-महशर (roz-e-mahshar)
– क़यामत (day of final reckoning), आख़िरी हिसाब-किताब का दिन
No comments:
Post a Comment