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Thursday, November 29, 2018

तिश्नगी धूप है, उजाला है


तिश्नगी धूप है, उजाला है 
रूह ने तीरगी में पाला है
Tishnagii dhuup hai, ujaalaa hai
Ruuh ne tiirgii me.n paalaa hai 

हाफ़िज़े की तहों से फिर मैंने 
आज बाहर उन्हें निकाला है
Haafize kii taho.n se phir maine 
Aaj baahar unhe.n nikaalaa hai 

आरज़ी है वजूद मेरा भी 
तू भी तारीख़ का निवाला है 
Aarzii hai vajuud meraa bhii
Tuu bhi taariiKh kaa nivaalaa hai

रौशनी रात की चहेती है 
दिन ने सूरज को आज टाला है
Raushnii raat kii chahetii hai
Din ne suuraj ko aaj Taalaa hai 

वो जो सूराख़ आसमाँ में है 
गिर्द उसके भी एक हाला है 
Wo jo suuraaKh aasmaa.n me.n hai
Gird uske bhi ek haalaa hai

ख़ुल्द के ख़्वाब ख़ल्क़ के इम्काँ  
हमने इक नज़रिये में ढाला है
Khuld ke Khwaab Khalq ke imkaa.n
Hamne ik nazariye me.n Dhaalaa hai

बहर में एक सुगबुगाहट है 
क़ाफ़िये ने मोरचा सँभाला है 
Bahr me.n ek sugbugaahaT hai
QaaFiye ne morchaa sambhaalaa hai

- Ravi Sinha
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तिश्नगी (tishnagii) - प्यास, लालसा (thirst, longing); तीरगी (tiirgii) - अँधेरा (darkness); हाफ़िज़ा (haafizaa) - स्मरण शक्ति (memory); आरज़ी (aarzii) - क्षणिक (temporary); हाला (haalaa) - आभामंडल (halo); ख़ुल्द (Khuld) - स्वर्ग (heaven); ख़ल्क़ (Khalq) - लोग, सृष्टि (people, creation); इम्कान (imkaan) - संभावना (possibility, potential); बहर (bahr) - छंद (meter in poetry); क़ाफ़िया (qaafiyaa) - तुकांत (rhyme)

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