ऐ मिरी जान इसी घर को तू जन्नत कह दे
ज़िन्दगी साथ बिताने को मुहब्बत कह दे
Ai mirii jaan isii ghar ko tu jannat kah de
Zindagii saath bitaane ko mohabbat kah de
रूह से रूह की दूरी भी कभी नापेंगें
पास बैठे हैं अभी ज़ीस्त को सोहबत कह दे
Ruuh se ruuh ki duurii bhi kabhii naape.nge.n
Paas baiTHe hai.n abhii ziist ko sohbat kah de
शाम सूरज का समन्दर में उतरना तन्हा
हाथ में हाथ ज़रा थाम के चाहत कह दे
Shaam suuraj ka samandar me.n utarnaa tanhaa
Haath me.n haath zaraa thaam ke chaahat kah e
मेरे ख़्वाबों को तू ता'बीर का ताना तो न
दे
कुछ नहीं तो इन्हें इम्कान-ए-हक़ीक़त कह दे
Mere KHvaabo.n ko tu taabiir ka taanaa to na de
Kuchh nahii.n to inhe.n imkaan-e-haqiiqat kah de
तू तसव्वुर है हक़ीक़त में रहा करती है
कोई पूछे जो पता मुझको सुकूनत कह दे
Tuu tasavvur hai haqiiqat me.n rahaa kartii hai
Koi puuchhe jo pataa mujhko sukuunat kah de
ढाल सकता हूँ क़यामत का नशा साग़र में
ज़र्फ़-ए-बातिन में जगह ख़ूब तो वुस'अत कह दे
DHaal saktaa hu.n qayaamat ka nashaa saaGar me.n
Zarf-e-baatin me.n jagah KHuub to vus’at kah de
आइना-ख़ाना-ए-दुनिया में ख़ुदी का ये हुजूम
कम से कम तू तो मिरी बूद को नुदरत कह दे
Aainaa-KHaana-e-duniyaa me.n KHudii kaa ye hujuum
Kam se kam tuu to mirii buud ko nudrat kah de
एक होता तो वो आलम के सिवा क्या होता
दो की मौजूदगी क़ुदरत की शरारत कह दे
Ek hotaa to vo aalam ke sivaa kyaa hotaa
Do ki maujuudagi qudrat ki sharaarat kah de
लोग तो खेल समझते हैं इन्हें लफ़्ज़ों का
मेरी ग़ज़लों को तू आशिक़ की बसीरत कह दे
Log to khel samajhte hai.n inhe.n lafzo.n kaa
Meri ghazalo.n ko tu aashiq ki basiirat kah de
- Ravi Sinha
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ज़ीस्त – ज़िन्दगी; ता'बीर – अर्थ; इम्कान-ए-हक़ीक़त –
यथार्थ की सम्भावनायें; सुकूनत – निवास; ज़र्फ़-ए-बातिन – अन्तरात्मा का बर्तन; वुस'अत
– आयतन; आइना-ख़ाना-ए-दुनिया – दुनिया रुपी शीशाघर; बूद – अस्तित्व; नुदरत – अनोखापन; बसीरत – अंतर्दृष्टि
Ziist – life; Sohbat – togetherness; Taabiir –
interpretation; Imkaan-e-haqiiqat – possibilities of the real; Tasavvur –
imagination; Sukuunat – residence; Zarf-e-baatin – pot of the soul; Vus’at –
volume; Aainaa-KHaana-e-duniyaa – mirror-house of the world; Buud – existence;
Nudrat – rarity, newness; Basiirat – inner eye
एक होता तो वो आलम के सिवा क्या होता
ReplyDeleteदो की मौजूदगी क़ुदरत की शरारत कह दे
ढाल सकता हूँ क़यामत का नशा साग़र में
ज़र्फ़-ए-बातिन में जगह ख़ूब तो वुस'अत कह दे .........
बेहद खूबसूरत, पुर-असर और पुर-असरार .... ग़ज़ल 🙏
Romantic and beautiful..
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