तिरे बग़ैर ये दुनिया
बनी तो क्या होगी
मिरे वजूद में तेरी
कमी तो क्या होगी
Tire baGair ye
duniyaa banii to kyaa hogii
Mire vajuud me.n
terii kamii to kyaa hogii
बहुत सुना है
करिश्मा है ये अनासिर का
तिरे बग़ैर मगर
ज़िन्दगी तो क्या होगी
Bahut sunaa hai
karishmaa hai ye anaasir kaa
Tire baGair magar
zindagii to kyaa hogii
हरेक आशना नाकाम ही
तो लौटा है
मुझे रक़ीब से फिर
दुश्मनी तो क्या होगी
Harek aashnaa
naakaam hii to lauTaa hai
Mujhe raqiib se
phir dushmanii to kyaa hogii
कहाँ से चल के ये
आयी है इस समन्दर तक
किसी नदी में भला
तिश्नगी तो क्या होगी
Kahaa.n se chal ke ye
aayii hai is samandar tak
Kisii nadii me.n
bhalaa tishnagii to kyaa hogii
तिरा जमाल फ़रोज़ाँ तो
ख़ुद से है फिर भी
मिरी नज़र के बिना
दिलकशी तो क्या होगी
Tiraa Jamaal farozaa.n
to KHud se hai phir bhii
Mirii nazar ke
binaa dil-kashii to kyaa hogii
जिसे तलाश करें
फ़लसफ़े उसूलों में
हक़ीक़तों में वही
सादगी तो क्या होगी
Jise talaash kare.n
falsafe usuulo.n me.n
Haqiiqato.n me.n
vahii saadagii to kyaa hogii
सभी हैं आग के गोले
सभी हैं दूर बहुत
भला नुजूम से
वाबस्तगी तो क्या होगी
Sabhii hai.n aag keg
ole sabhii hai.n duur bahut
Bhalaa nujuum se
vaabastagii to kyaa hogii
हरेक शख़्स अँधेरे का
कारख़ाना है
जले चराग़ मगर रौशनी
तो क्या होगी
Harek shaKHs
a.ndhere ka kaar-KHaanaa hai
Jale charaaG magar
raushnii to kyaa hogii
खड़े हैं देवता
मन्दिर में असलहे लेकर
डरेंगे लोग मगर
बन्दगी तो क्या होगी
KhaDe hai.n devtaa mandir
me.n aslahe lekar
Dare.nge log magar
bandagii to kyaa hogii
- Ravi Sinha
----------------------------------------------------------
अनासिर – पंचतत्त्व; रक़ीब – प्रतिद्वन्दी; तिश्नगी
– प्यास; जमाल – सौन्दर्य; फ़रोज़ाँ – चमकता हुआ; नुजूम – सितारे; वाबस्तगी – रिश्ता
Anaasir – elements; Raqiib – competitor (in
love-interests); Tishnagii – thirst; Jamaal – beauty; Farozaa.n – shining;
Nujuum – stars; Vaabastagii – relationship
वाह आस्तित्वादवाद से शुरू होकर post truth और post modernist खयालों और व्यक्ति के भीतर तक की पड़ताल करती है ये ग़ज़ल ... सुंदर कृति के बहुत बहुत बधाई sir
ReplyDeleteडरेंगे लोग मगर बन्दगी तो क्या होगी...
ReplyDeleteकमाल sir...