शाम उतरी है जगाओ
पीरे-उम्रे-दराज़ को
ख़िरद का ताइर वहाँ तैयार है परवाज़ को
Shaam utarii hai jagaao
piir-e-umr-e-daraaz ko
KHirad kaa taa’ir vahaa.n tayyaar hai
parvaaz ko
वक़्त जब पैदा हुआ था नुक़्ते में थी
कायनात
कहकशाँ के तुख़्म हासिल थे दमे-एजाज़
को
Vaqt jab paidaa huaa thaa nuqte me.n
thii kaainaat
Kahkashaa.n ke tuKHm haasil the
dam-e-ejaaz ko
वुस'अते-आलम बहुत इम्काने-हस्ती
बेहिसाब
क्या शिकायत कीजिये फिर ज़ीस्त के
ईजाज़ को
Vus’at-e-aalam bahut imkaan-e-hastii
behisaab
Kyaa shikaayat kiijiye phir ziist ke
iijaaz ko
मुनफ़रिद औलाद है क़ुदरत की औ तहज़ीब
की
जो क़बीले जज़्ब कर लें फ़र्द के
एज़ाज़ को
Munfarid aulaad hai qudrat ki au
tahziib kii
Jo qabiile jazb kar le.n fard ke
ezaaz ko
क्यूँ तख़य्युल हो असीरे-ख़ाक
सुन ऐ ख़ाकज़ाद
दे बुलन्दी ख़ल्क़ में तख़्लीक़ की आवाज़
को
Kyuu.n taKHayyul ho asiir-e-KHaak sun
ai KHaakzaad
De bulandii KHalq me.n taKHliiq kii
aavaaz ko
सुख़नवर बेआबरू होकर गया है बज़्म
से
कुछ तसल्ली तो हुई तन्क़ीद के
शहबाज़ को
SuKHanvar be-aabruu hokar gayaa hai
bazm se
Kuchh tasallii to huii tanqiid ke shahbaaz
ko
वो जदीदी दौर में कुछ यूँ सुख़न
करते रहे
खेंच देते थे ख़ला पर पर्दा-ए-अल्फ़ाज़ को
Vo jadiidii daur me.n kuchh yuu.n
suKHan harte rahe
Khe.nch dete the KHalaa par
parda-e-alfaaz ko
नक़्श-ए-ता'मीर अब फिर से बनाना
चाहिए
गर ज़माना सुन रहा है बस ज़माना-साज़
को
Naqsh-e-taa’miir ab phir se banaanaa
chaahiye
Gar zamaanaa sun rahaa hai bas
zamaanaa-saaz ko
छीन लेता है निवाला
दहने-मुफ़लिस से ख़ुदा
मालो-ज़र देता है वो इस दौर में मरताज़
को
Chhiin letaa hai nivaalaa
dahn-e-muflis se KHudaa
Maal-o-zar detaa hai vo is daur me.n
martaaz ko
हाल ये जम्हूरियत का हो गया हर मुल्क
में
अब सियासत दे बढ़ावा ख़ल्क़ के अमराज़
को
Haal ye jamhuuriyat kaa ho gayaa har
mulk me.n
Ab siyaasat de baDHaavaa KHalq ke
amraaz ko
लाज़िमी है के कहीं पर ख़त्म हो
गुफ़्तो-शुनीद
गरचे मक़्ता ये मचलता है नए आग़ाज़ को
Laazimii hai ke kahii.n par KHatm ho
guft-o-shuniid
Garche maqtaa ye machaltaa hai
naye aaGHaaz ko
- Ravi Sinha
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पीरे-उम्रे-दराज़ (Piir-e-umr-e-daraaz) - लम्बी उम्र का वृद्ध व्यक्ति (An Old Man); ताइर (Taa'ir) - पक्षी (Bird); ख़िरद (Khirad) - बुद्धि (Reason); परवाज़ (Parvaaz) - उड़ान (Flight); कहकशाँ (Kahkashaa.n) - आकाशगंगा (Milky Way; Galaxy);
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structure); ज़माना-साज़ (Zamaanaa-saaz) - धूर्त, व्यावहारिक (Cunning, Practical); दहने-मुफ़लिस (Dahan-e-muflis) - ग़रीब का मुँह (Poor man's mouth); मालो-ज़र (Maal-o-zar) - धन दौलत (Wealth); मरताज़ (Martaaz) - सन्यासी, बैरागी (Ascetic); अमराज़ (Amraaz) - रोगों (Diseases); गुफ़्तो-शुनीद (Guft-o-shuniid) - कहना-सुनना (Interaction, speaking
and listening); मक़्ता (Maqtaa) - आख़िरी शेर (Last couplet); आग़ाज़ (AaGHaaz) - शुरुआत (Beginning)
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