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Saturday, January 5, 2019

शाइस्तगी को बीच की दीवार करोगे



शाइस्तगी को बीच की दीवार करोगे 
मालूम था पहचान से इनकार करोगे 
Shaa.istagii ko biich kii diivaar karoge
Maaluum thaa pahchaan se inkaar karoge

अख़लाक़ के तहज़ीब के सौदागरे-जदीद 
मालूम था ख़ुद को बहुत ज़रदार करोगे
AKHlaaq ke tahziib ke saudaagar-e-jadiid
Maaluum thaa KHud ko bahut zardaar karoge

मशरिक़ ज़मीन और है मग़रिब ज़मीन और 
हिर्सो-हवा दोनों जगह अश्जार करोगे 
Mashriq zamiin aur hai maGrib zamiin aur
Hirs-o-havaa dono.n jagah ashjaar karoge

बाज़ीचा-ए-अत्फ़ाल है दुनिया तिरे आगे 
इसको कभी मक़्तल कभी बाज़ार करोगे 
Baziicha-e-atFaal hai duniyaa tire aage
Isko kabhii maqtal kabhii baazaar karoge
(With apologies to Ghalib)

परवरदिगार को यहाँ नीचे उतार कर
जम्हूरियत के खेल में किरदार करोगे 
Parvardigaar ko yaha.n niiche utaar kar
Jamhuuriyat ke khel me.n kirdaar karoge

- Ravi Sinha
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शाइस्तगी (Shaa.istagii) - सभ्यता (civility); अख़्लाक़ (AKHlaaq) - शिष्टाचार (civilized conduct); जदीद (Jadiid) - आधुनिक (Modern); ज़रदार (Zardaar) - धनी (Wealthy); मशरिक़ (Mashriq) - पूरब (East); मग़रिब (MaGrib) - पश्चिम (West); हिर्सो-हवा (hirs-o-havaa) - लालच और लालसा (greed and desire); अश्जार (ashjaar) - वृक्ष समूह (trees); बाज़ीचा-ए-अत्फ़ाल (Baziicha-e-atFaal) - बच्चों का खेल (Children's play); मक़्तल (Maqtal) - क़त्लगाह (Place of slaughter)

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