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Thursday, March 11, 2021

अफ़्कार तो आये हैं उम्मीद भी आ पहुँचे

अफ़्कार तो आये हैं उम्मीद भी आ पहुँचे

ये मर्ज़ हक़ीक़त का ख़्वाबों की दवा पहुँचे

Afkaar to aaye hai.n ummiid bhi aa pahu.nche

Ye marz haqiiqat ka KHvaabo.n ki davaa pahu.nche  

 

क्यूँ हब्स फ़ज़ा में है तारीख़ से बू आये   

इमरोज़ की साँसों को फ़र्दा की सबा पहुँचे

Kyuu.n habs fazaa me.n hai taariiKH se buu aaye

Imroz ki saa.nso.n ko fardaa ki sabaa pahu.nche 

 

बीनिश के दरीचे से माज़ी ही नज़र आये 

भटके है वहाँ कोई उस तक तो सदा पहुँचे

Biinish ke dariiche se maazii hi nazar aaye

Bhatke hai vahaa.n koii us tak to sadaa pahu.nche 

 

हर बूद में ज़र्रे में होने से तो क्या होगा 

जो रोज़ पुकारे है उस तक तो ख़ुदा पहुँचे

Har buud me.n zarre me.n hone se to kyaa hogaa

Jo roz pukaare hai us tak to KHudaa pahu.nche 

 

लाये के न कुछ लाये ये सुब्ह तो आ जाये 

ख़बरें हों भले बासी अख़बार नया पहुँचे  

Laaye ke na kuchh laaye ye sub.h to aa jaaye

KHabare.n ho.n bhale baasii aKHbaar nayaa pahu.nche

 

-         Ravi Sinha

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अफ़्कार - सोच, चिंतायें; हब्स - घुटन; फ़ज़ा - वातावरण; इमरोज़ - आज का दिन; फ़र्दा - आने वाला कल; सबा - बयार; बीनिश - दृष्टि, अन्तर्दृष्टि, विवेक; दरीचा - खिड़की; माज़ी - अतीत; सदा - पुकार; बूद – अस्तित्व

 

Afkaar – thoughts, worries; Habs – suffocation; Fazaa – atmosphere; Imroz – today; Fardaa – tomorrow; Sabaa – wind; Biinish – insight, wisdom; Dariichaa – window; Maazii – past; Sadaa – call; Buud - existence

 

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