शामे-फ़िराक़ आज भी सोहबत वही मिली
ख़ल्वत में
फिर से आप की मौजूदगी मिली
Shaam-e-firaaq
aaj bhii sohbat vahii milii
KHalvat
me.n phir se aap ki maujuudagii milii
दस्तक हुई
है दर पे तसव्वुर के बार बार
तहत-ए-शु'ऊर कोई कहानी
दबी मिली
Dastak
huii hai dar pe tasavvur ke baar baar
Taht-e-shu’uur
koi kahaanii dabii milii
पहुँचे
ख़याल-ए-हुस्न से हुस्न-ए-ख़याल तक
दरिया की
थी तलाश हमें तिश्नगी मिली
Pahu.nche
KHayaal-e-husn se husn-e-KHayaal tak
Dariyaa
ki thii talaash hame.n tishnagii milii
आहट हुई
थी आप की मुद्दत के बाद आज
ठिठकी हुई
सी दर पे खड़ी ज़िन्दगी मिली
AahaT
huii thi aap ki muddat ke baad aaj
THiTHki huii
si dar pe khaDii zindagii milii
ख़िलक़त को
क्या मिले कि उसे आगही मिले
मिट्टी को
क्या मिला तो मुझे आगही मिली
KHilqat
ko kyaa mile ki use aagahii mile
MiTTii ko
kyaa milaa to mujhe aagahii milii
सूरज-मुखी
फ़रेफ़्ता सूरज ग़ुरूर में
आलम के हर
अज़ीम को कैसी ख़ुदी मिली
Suuraj-mukhii
fareftah suuraj Guruur me.n
Aalam ke
har aziim ko kaisii KHudii milii
उतरा है
ख़ुद के पार समन्दर हज़ार बार
दुनिया
हरेक बार कोई और ही मिली
Utaraa
hai KHud ke paar samandar hazaar
Duniyaa
harek baar koii aur hii milii
- Ravi
Sinha
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शामे-फ़िराक़ – जुदाई की शाम; ख़ल्वत – अकेलापन;
तहत-ए-शु'ऊर – अवचेतन; तिश्नगी – प्यास; ख़िलक़त – जनता, सृष्टि; आगही – चेतना;
फ़रेफ़्ता – मुग्ध; अज़ीम – महान
Shaam-e-firaaq – evening of separation; KHalvat –
solitude; Taht-e-shu’uur – subconscious; Tishnagii – thirst; KHilqat – people, creation;
Aagahii – awareness; Fareftah – charmed, infatuated; Aziim – great
अच्छी लगी ये वाली गज़ल भी ।
ReplyDeleteउतरा है खुद के पार समंदर हज़ार बार
ReplyDeleteदुनिया हर एक बार कोई और ही मिली
.... बहुत खूब !
आहट हुई थी आप की मुद्दत के बाद आज
ReplyDeleteठिठकी हुई सी दर पे खड़ी ज़िन्दगी मिली
वाह वाह
वाह ,दरिया की थी तलाश हमे तिश्नगी मिली।
ReplyDeleteदिनों दिनों कलम जवान हो रही है।
Good composition.
ReplyDeleteFeelings,