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Tuesday, November 21, 2023

चार लम्हों में सरमदी की है

चार लम्हों में सरमदी की है
ये हिमाक़त तो आदमी की है
Chaar lamho.n me.n sarmadii kii hai
Ye himaaqat to aadmii kii hai


चल हक़ीक़त को ख़्वाब करते हैं

नींद में चल के ज़िन्दगी की है
Chal haqiiqat ko KHvaab karte hai.n
Nii.nd me.n chal ke zindagii kii hai


जो मुनक़्क़श हुई है पत्थर पे

वो रवानी किसी नदी की है
Jo munaqqash huii hai patthar pe
Vo ravaanii kisii nadii kii hai


जो नहीं है उसी को लोगों ने

रोज़ देखा है बात भी की है
Jo nahii.n hai usii ko logo.n ne
Roz dekhaa hai baat bhii kii hai


दिल ने कब आप से किया इन्कार

जो हिदायत है आगही की है
Dil ne kab aap se kiyaa inkaar
Jo hidaayat hai aagahii kii hai

 

क्या मुहब्बत भला करे कोई 
अब रिवायत तो दुश्मनी की है 
Kyaa muhabbat bhlaa kare koii
Ab rivaayat to dushmanii kii hai


क़त्ल जिस बात पे हुआ उसका

बात गरचे वो हम सभी की है
Qatlj is baat pe huaa uskaa
Baat garche vo ham sabhii kii hai


हर कहानी पे घास उगती है

ये जो बच्चों की है अभी की है
Har kahaanii pe ghaas ugtii hai
Ye jo bachcho.n ki hai abhii kii hai

- Ravi Sinha

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सरमदी – नित्यता; हिमाक़त – धृष्टता; मुनक़्क़श – खुदी हुई; आगही – चेतना

Sarmadii – eternity; Himaaqat – adamancy; Munaqqash – engraved; Aagahii - awareness

Tuesday, November 7, 2023

दश्त-ए-अंबोह मुझे सोहबत-ए-आ'ला दे दे

दश्त-ए-अंबोह मुझे सोहबत-ए-आ'ला दे दे
दर्द कोई मुझे गैहान का पाला दे दे
Dasht-e-amboh mujhe sohbat-e-a.alaa de de
Dard koii mujhe gaihaan ka paalaa de de


चाँद सूरज की पहुँच में तो है सारी दुनिया

मुझको असरार-ए-म'आनी का उजाला दे दे
Chaa.nd suuraj ki pahu.nch me.n to hai saarii duniyaa
Mujhko asraar-e-ma.aanii ka ujaalaa de de


है मुनक़्क़श जो मिरे बूद की परछाईं पर

रफ़्त के बाद उसे रूप निराला दे दे
Hai munaqqash jo mire buud ki parchhaa.in par
Raft ke ba.aad use ruup niraalaa de de


मुल्क-ए-जम्हूर की सड़कों पे बहस है कि फ़साद

ख़ल्क़ सुकरात को फिर ज़ह्र का प्याला दे दे
Mulk-e-jamhuur ki saDko.n pe bahas hai ki fasaad
KHalq Sukraat ko phir zahr ka pyaalaa de de


कल के मज़लूम अगर आज के हैवान हुए

मौत बच्चों को गुज़िश्ता का हवाला दे दे
Kal ke mazluum agar aaj ke haivaan hue
Maut bachcho.n ko guzishtaa ka havaalaa de de


हुक्म तेरा कि रहूँ तेरे गुनाहों में शरीक

ऐ मिरी क़ौम मुझे देस निकाला दे दे
Hukm teraa ki rahuu.n tere gunaaho.n me.n shariik
Ai mirii qaum mujhe des nikaalaa de de

- Ravi Sinha
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दश्त-ए-अंबोह – भीड़ का सुनसान; सोहबत-ए'आला – श्रेष्ठ की संगत; गैहान – सृष्टि, संसार; असरार-ए-म'आनी – अर्थ के रहस्य; मुनक़्क़श – खुदा हुआ; बूद – अस्तित्व; रफ़्त – प्रस्थान; मुल्क-ए-जम्हूर – जनता का देश; ख़ल्क़ – लोग; मज़लूम – जिनपर ज़ुल्म हुआ हो; गुज़िश्ता – अतीत

Dasht-e-amboh – desert of the crowd; Sohbat-e-a.alaa – company of the best; Gaihaan – universe, world; Asraar-e-ma.aanii – secrets of meaning; Munaqqash – engraved; Buud – existence; Raft – departure; Mulk-e-jamhuur – country of the people; KHalq – people; Mazluum – oppressed; Guzishtaa – past