चार लम्हों में सरमदी की है
ये हिमाक़त तो आदमी की है
Chaar lamho.n me.n sarmadii kii
hai
Ye himaaqat to aadmii kii hai
चल हक़ीक़त को ख़्वाब करते हैं
नींद में चल के ज़िन्दगी की है
Chal haqiiqat ko KHvaab karte
hai.n
Nii.nd me.n chal ke zindagii kii
hai
जो मुनक़्क़श हुई है पत्थर पे
वो रवानी किसी नदी की है
Jo munaqqash huii hai patthar pe
Vo ravaanii kisii nadii kii hai
जो नहीं है उसी को लोगों ने
रोज़ देखा है बात भी की है
Jo nahii.n hai usii ko logo.n ne
Roz dekhaa hai baat bhii kii hai
दिल ने कब आप से किया इन्कार
जो हिदायत है आगही की है
Dil ne kab aap se kiyaa inkaar
Jo hidaayat hai aagahii kii hai
क्या मुहब्बत भला करे कोई
अब रिवायत तो दुश्मनी की है
Kyaa muhabbat bhlaa kare koii
Ab rivaayat to dushmanii kii hai
क़त्ल जिस बात पे हुआ उसका
बात गरचे वो हम सभी की है
Qatlj is baat pe huaa uskaa
Baat garche vo ham sabhii kii hai
हर कहानी पे घास उगती है
ये जो बच्चों की है अभी की है
Har kahaanii pe ghaas ugtii hai
Ye jo bachcho.n ki hai abhii kii hai
- Ravi Sinha
--------------------------------------------
सरमदी – नित्यता; हिमाक़त – धृष्टता; मुनक़्क़श – खुदी
हुई; आगही – चेतना
Sarmadii – eternity; Himaaqat – adamancy; Munaqqash
– engraved; Aagahii - awareness
No comments:
Post a Comment