दर्द कोई मुझे गैहान का पाला दे दे
चाँद सूरज की पहुँच में तो है सारी दुनिया
है मुनक़्क़श जो मिरे बूद की परछाईं पर
मुल्क-ए-जम्हूर की सड़कों पे बहस है कि फ़साद
कल के मज़लूम अगर आज के हैवान हुए
हुक्म तेरा कि रहूँ तेरे गुनाहों में शरीक
- Ravi Sinha
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दश्त-ए-अंबोह – भीड़ का सुनसान;
सोहबत-ए'आला – श्रेष्ठ की संगत; गैहान – सृष्टि, संसार; असरार-ए-म'आनी – अर्थ के रहस्य; मुनक़्क़श – खुदा हुआ; बूद – अस्तित्व;
रफ़्त – प्रस्थान; मुल्क-ए-जम्हूर – जनता का देश; ख़ल्क़ – लोग; मज़लूम – जिनपर ज़ुल्म
हुआ हो; गुज़िश्ता – अतीत
Dasht-e-amboh – desert of the crowd;
Sohbat-e-a.alaa – company of the best; Gaihaan – universe, world;
Asraar-e-ma.aanii – secrets of meaning; Munaqqash – engraved; Buud – existence;
Raft – departure; Mulk-e-jamhuur – country of the people; KHalq – people;
Mazluum – oppressed; Guzishtaa – past
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