लोग कहते हैं मिरा वक़्त नहीं आयेगा
और ये भी कि मिरा
दौर गुज़र जायेगा
Log kahte hai.n
miraa vaqt nahii.n aayegaa
Aur ye bhii ki
miraa daur guzar jaayegaa
मुन्तज़िर कौन नहीं
है किसी मुस्तक़बिल का
मेरे ख़्वाबों पे मगर
दोष धरा जायेगा
Muntazir kaun
nahii.n hai kisii mustaqbil kaa
Mere KHvaabo.n pe
magar dosh dharaa jaayegaa
किसके कहने के
मुताबिक़ है चलन दुनिया का
हर पयम्बर यहाँ
नाकाम ही कहलायेगा
Kiske kahne ke
mutaabiq hai chalan duniyaa kaa
Har payambar
yahaa.n naakaam hi kahlaayegaa
बस मुहब्बत के सहारे
ही चले आये थे
अब ये सुनते हैं ये
दावा हमें मरवायेगा
Bas muhabbat ke
sahaare hi chale aaye the
Ab ye sunte hai.n
ye daavaa hame.n marvaayegaa
जंग ये है कि जगाना
है ज़माने का ज़मीर
कोइ मक़्तूल ही क़ातिल
को हरा पायेगा
Jang ye hai ki
jagaanaa hai zamaane ka zamiir
Koi maqtuul hi
qaatil ko haraa paayegaa
गो त'आरुफ़ से तो
इन्कार करेंगी नस्लें
बे-तख़ल्लुस मिरा दीवान पढ़ा जायेगा
Go ta’aaruf se to
inkaar kare.ngii nasle.n
Be-taKHallus mira diivaan paDhaa jaayegaa
- Ravi Sinha
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मुन्तज़िर – इन्तज़ार में; मुस्तक़बिल – भविष्य; ज़मीर – अन्तरात्मा; मक़्तूल – जिसे क़त्ल कर दिया गया; त'आरुफ़ – पहचान; बे-तख़ल्लुस – शायर के नाम के बिना
Muntazir – in wait; Mustaqbil – future; Zamiir – conscience;
Maqtuul – slain; Ta’aaruf – acquaintance; Be-taKHallus – without a pen-name of
the poet
लोग कहते हैं मिरा वक़्त नहीं आयेगा
ReplyDeleteऔर ये भी कि मिरा दौर गुज़र जायेगा.....
What a beautiful paradox.... बहुत बढ़िया 🎉🎉🎉