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Saturday, May 28, 2022

देवता कोई पयम्बर ही कोई बुलवाइये

देवता कोई पयम्बर ही कोई बुलवाइये  

आग लगनी है तो फिर से तूर पर लगवाइये

Devtaa koii payambar hii koii bulvaa.iye

Aag lagni hai to phir se tuur par lagvaa.iye  

 

क्या नविश्ता क्या म'आनी वज्ह क्या तफ़्सीर क्या 

ज़िन्दगी इस बार नुक्ताचीं से ही लिखवाइये 

Kyaa navishta kyaa ma’aanii vaj.h kyaa tafsiir kyaa

Zindagii is baar nukta-chii.n se hi likhvaa.iye

 

शख़्स-ए-मामूली करे क्या बस गुज़िश्ता है अज़ीम 

जी में आता है कि जीते जी यहाँ मर जाइये 

ShaKHs-e-maamuulii kare kyaa bas guzishta hai aziim

Jii me.n aataa hai ki jiite-jii yahaa.n mar jaa.iye

 

कुछ तो मद्धम हैं तफ़रक़े कुछ बुझे फ़ितने फ़साद 

फ़लसफ़ी से शह्र में अब रौशनी करवाइये 

Kuchh to maddham hai.n tafarqe kuchh bujhe fitne fasaad

Falsafii se shahr me.n ab raushnii karvaa.iye

 

दस मज़ाहिब सौ ज़ुबानें और फ़िरक़े सद हज़ार 

इस दफ़ा हिन्दोस्ताँ अच्छी तरह बँटवाइये 

Das mazaahib sau zubaane.n aur firqe sad hazaar

Is dafaa Hindostaa.n achchhii tarah ba.nTvaa.iye

 

- Ravi Sinha

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तूर – पहाड़ (तूर-ए-सीना का सन्दर्भ जहाँ मूसा को दस ख़ुदाई फ़रमान मिले थे); नविश्ता – लिखित; तफ़्सीर – व्याख्या; नुक्ताचीं – आलोचक; शख़्स-ए-मामूली – आम आदमी; गुज़िश्ता – अतीत; अज़ीम – महान; तफ़रक़े – विवाद; फ़ितने – झगड़े; फ़लसफ़ी – दार्शनिक; मज़ाहिब – मज़हब का बहुवचन; फ़िरक़े – पंथ, समुदाय; सद – सौ  

 

Tuur – reference to Mount Sinai where Moses received Ten Commandments; Navishta – written; Tafsiir – explanation; Nukta-chii.n – critic; ShaKHs-e-maamuulii – common man; Guzishta – past; Aziim – great, glorious; Tafarqe – dissensions; Fitne – quarrels; Falsafii – philosopher; Mazaahib – religions; Firqe – sects; Sad – hundred

 

1 comment:

  1. कैसे कहे वाह, पूरी ग़ज़ल आह की मुश्त हक है .... एक एक शे र कमाल का बन पड़ा है

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