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Thursday, March 24, 2022

ये दिल फ़रेब ही खाये तो आप से खाये

 

ये दिल फ़रेब ही खाये तो आप से खाये 

सिवाय आप के किसको ख़ुदा किया जाये 

Ye dil fareb hi khaaye to aap se khaaye

Sivaay aap ke kisko KHudaa kiyaa jaaye

 

फ़लक पे चाँद सितारे सजा के बैठे हैं 

ज़मीं की आँख में चाहत कोई उभर आये 

Falak pe chaa.nd sitaare sajaa ke baiTHe hai.n

Zamii.n ki aa.nkh me.n chaahat koii ubhar aayee

 

कभी कभार बहाने बुरे नहीं होते 

कभी कभार कोई बाम पे निकल आये 

Kabhii kabhaar bahaane bure nahii.n hote

Kabhii kabhaar koii baam pe nikal aaye

 

कहे बग़ैर ही बातें निकल पड़ें तुझसे 

मुजस्सिमा है ज़ुबाँ, आँख से सुना जाये

Kahe baGair hi baate.n nikal paDe.n tujh se

Mujassimaa hai zubaa.n, aa.nkh se sunaa jaaye 

 

शिकायतें हैं बहुत आस पास वालों से 

जहाँपनाह की करनी भी तो नज़र आये 

Shikaayate.n hai.n bahut aas paas vaalo.n se

Jahaa.n-panaah ki karnii bhi to nazar aaye

 

मिरे वजूद से खुलती है राह क़ुदरत को 

यहीँ से रूह ये क़ालिब को क़स्द पहुँचाये

Mire vajuud se khultii hai raah qudrat ko

Yahii.n se ruuh ye qaalib ko qasd pahu.nchaaye  

 

मैं कहकशाँ में म'आनी उँड़ेल दूँ साहब  

मिरी शुनीद से दरिया भी नग़्मगी पाये  

Mai.n kahkashaa.n me.n ma’aanii u.nDel duu.n saahab

Mirii shuniid se dariyaa bhi naGmagii paaye

 

- Ravi Sinha

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फ़लक – आसमान; बाम – छत; मुजस्सिमा – प्रतिमा; क़ालिब – देह; क़स्द – इरादा; कहकशाँ – आकाशगंगा; शुनीद – सुनना; नग़्मगी – लय, संगीत 

 

Falak – sky; Baam – terrace; Mujassimaa – statue; Qaalib – body; Qasd – intention; Kahkashaa.n – Milky Way; Shuniid – to hear; NaGmagii – lyricism

 

1 comment:

  1. मिरे वजूद से खुलती है राह क़ुदरत को

    यहीँ से रूह ये क़ालिब को क़स्द पहुँचाये.....

    बहुत खूबसूरत ग़ज़ल बनीं है .... एक एक शे`र अच्छे बन पड़े है। खयाल में वजन भी है, रूमानियत और फलसफे की उड़ान भी है। बहुत बहुत बधाई सर ...

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