ये दिल फ़रेब ही खाये तो आप से
खाये
सिवाय आप के किसको ख़ुदा किया
जाये
Ye dil fareb hi khaaye to aap se
khaaye
Sivaay aap ke kisko KHudaa kiyaa
jaaye
फ़लक पे चाँद सितारे सजा के बैठे
हैं
ज़मीं की आँख में चाहत कोई उभर
आये
Falak pe chaa.nd sitaare sajaa ke
baiTHe hai.n
Zamii.n ki aa.nkh me.n chaahat koii
ubhar aayee
कभी कभार बहाने बुरे नहीं होते
कभी कभार कोई बाम पे निकल आये
Kabhii kabhaar bahaane bure nahii.n
hote
Kabhii kabhaar koii baam pe nikal
aaye
कहे बग़ैर ही बातें निकल पड़ें
तुझसे
मुजस्सिमा है ज़ुबाँ, आँख से सुना जाये
Kahe baGair hi baate.n nikal paDe.n
tujh se
Mujassimaa hai zubaa.n, aa.nkh se
sunaa jaaye
शिकायतें हैं बहुत आस पास वालों
से
जहाँपनाह की करनी भी तो नज़र आये
Shikaayate.n hai.n bahut aas paas
vaalo.n se
Jahaa.n-panaah ki karnii bhi to nazar
aaye
मिरे वजूद से खुलती है राह क़ुदरत
को
यहीँ से रूह ये क़ालिब को क़स्द पहुँचाये
Mire vajuud se khultii hai raah
qudrat ko
Yahii.n se ruuh ye qaalib ko qasd
pahu.nchaaye
मैं कहकशाँ में म'आनी उँड़ेल दूँ
साहब
मिरी शुनीद से दरिया भी नग़्मगी पाये
Mai.n kahkashaa.n me.n ma’aanii
u.nDel duu.n saahab
Mirii shuniid se dariyaa bhi naGmagii
paaye
- Ravi Sinha
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फ़लक – आसमान; बाम –
छत; मुजस्सिमा – प्रतिमा; क़ालिब – देह; क़स्द – इरादा; कहकशाँ – आकाशगंगा; शुनीद –
सुनना; नग़्मगी – लय, संगीत
Falak – sky; Baam –
terrace; Mujassimaa – statue; Qaalib – body; Qasd – intention; Kahkashaa.n –
Milky Way; Shuniid – to hear; NaGmagii – lyricism
मिरे वजूद से खुलती है राह क़ुदरत को
ReplyDeleteयहीँ से रूह ये क़ालिब को क़स्द पहुँचाये.....
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल बनीं है .... एक एक शे`र अच्छे बन पड़े है। खयाल में वजन भी है, रूमानियत और फलसफे की उड़ान भी है। बहुत बहुत बधाई सर ...