इश्क़ में काम ज़मीनी भी किये हैं हमने
और वहशत को भी परवाज़ दिये हैं हमने
Ishq me.n kaam zamiinii bhi kiye
hai.n hamne
Aur vahshat ko bhi parvaaz diye hai.n
hamne
आप आये हैं तो शीशे में उतारी है
शराब
वरना शामों को समन्दर भी पिये हैं
हमने
Aap aaye hai.n to shiishe me.n
utaarii hai sharaab
Varna shaamo.n ko samandar bhi piye
hai.n hamne
वक़्त तो ख़ैर कहीं और लिये जाता
है
सफ़र उल्टे भी मगर ख़ूब किये हैं
हमने
Vaqt to KHair kahii.n aur liye jaataa
hai
Safar ulte bhi magar KHuub kiye hai.n
hamne
आप मंज़िल ही रहे और पहुँचने का
ख़याल
बस मुसाफ़िर के ही दिन-रात जिये हैं
हमने
Aap manzil hi rahe aur pahu.nchane ka
KHayaal
Bas musaafir ke hi din-raat jiye
hai.n hamne
उम्र की धूप मशक़्क़त में इरादों के
ख़ुमार
शाम प्याले में सफ़र ढाल लिये हैं
हमने
Umr kii dhuup mashaqqat me.n iraado.n
ke KHumaar
Shaam pyaale me.n safar DHaal liye
hai.n hamne
हर हक़ीक़त से कई ख़्वाब उधेड़े हैं
ब-ख़ूब
उनके धागों से ही अफ़साने सिये हैं हमने
Har haqiiqat se ka.ii KHvaab udheDE
hai.n ba-KHuub
Unke dhaago.n se hi afsaane siye
hai.n hamne
हम भी कुछ और थे और आप भी ऐसे तो न
थे
फिर गुज़िश्ता वही लम्हात जिये हैं
हमने
Ham bhi kuchh aur
the aur aap bhi aise to na the
Phir guzishtaa
vahii lamhaat jiye hai.n hamne
ग़ार-ए-बातिन में अकेले है रिहाइश
अपनी
गरचे बाज़ार में घर-बार किये हैं
हमने
Gaar-e-baatin me.n akele hai
rihaa.ish apnii
Garche bazaar me.n ghar-baar kiye
hai.n hamne
अब भी गाते हैं अँधेरे में अँधेरे के
ख़िलाफ़
आप के दौर में कब होंठ सिये हैं
हमने
Ab bhi gaate hai.n andhere me.n
andhere ke KHilaaf
Aap ke daur me.n kab ho.nTH siye
hai.n hamne
-
Ravi Sinha
वहशत - उन्माद;
परवाज़ - उड़ान; गुज़िश्ता - बीते हुए; लम्हात - लम्हे; ग़ार-ए-बातिन - मन की गुफा
हर हकीकत से कई ख्वाब उधेड़े हैं ब खूब
ReplyDeleteउनके धागों से ही अफसानें सिये हैं हमने ....
मुकम्मल गजल, जिसने, दर्शन, राजनीति, इतिहास, मौजूदा वक्त एक साथ हैं। बेहतरीन ग़ज़ल अपने कहे गए बेहतरीन अशआर से बनी। ग़ज़लसरा को बहुत बहुत बधाई। माने रवि सर को ....